भव्यता, परंपरा और रंगों की जादुई यात्रा: जयपुर से रोम तक Bvlgari की हाई ज्वेलरी की कहानी
बुल्गारी की हाई ज्वेलरी यात्रा में जयपुर की रंगीन गलियों से रोम तक, प्रियंका चोपड़ा जोनस और लूसिया सिलवेस्ट्रि ने मिलकर खोजे बेशकीमती रत्न। जानिए कैसे भारतीय परंपरा और बुल्गारी की रचनात्मकता ने मिलकर रचा Polychroma कलेक्शन का जादू।

जयपुर, भारत: बुल्गारी (Bvlgari) में हर हाई ज्वेलरी कृति की शुरुआत एक चिंगारी से होती है — एक ऐसे रत्न से, जिसकी ऊर्जा, रंग और आकर्षण कल्पना को जगाते हैं और रचनात्मकता की दिशा तय करते हैं। इस बार, यह जादू रचना की शुरुआत से भी पहले दिखा — जयपुर, भारत में, जहाँ बुल्गारी की ज्वेलरी क्रिएटिव और जेम्स बाइंग डायरेक्टर लूसिया सिलवेस्ट्रि (Lucia Silvestri) एक बार फिर सबसे बेहतरीन और जीवंत रत्नों की खोज में पहुँचीं। ये वही रत्न थे, जो मई में लॉन्च हुई पोलिक्रोमा (Polychroma) — बुल्गारी की नई हाई ज्वेलरी कलेक्शन — की धड़कन बनने वाले थे।
इस रंगीन यात्रा में लूसिया के साथ एक खास मेहमान भी शामिल हुईं — बुल्गारी की ग्लोबल एम्बेसडर प्रियंका चोपड़ा जोनस (Priyanka Chopra Jonas)। भारत में जन्मी और दुनियाभर में पली-बढ़ी प्रियंका के लिए यह यात्रा एक भावनात्मक जुड़ाव थी — अपने मूल से पुनः जुड़ने का अनुभव। उन्होंने लूसिया के साथ रत्नों की पारंपरिक कटिंग और चयन की प्रक्रिया को नजदीक से देखा और भारत की सांस्कृतिक विरासत में एक बार फिर डूबीं।
जयपुर, जिसे “पिंक सिटी” कहा जाता है, रंगीन रत्नों की वैश्विक राजधानी मानी जाती है। यहाँ सदियों पुरानी तकनीकों, उत्कृष्ट शिल्पकला, और रूबेलाइट, पन्ना, टूरमालिन और नीलम जैसे रत्नों की रंगीन दुनिया का मेल है। लूसिया सिलवेस्ट्रि, जो अपने करियर में 40 से अधिक बार जयपुर आ चुकी हैं, के लिए यह शहर सिर्फ रत्नों का स्रोत नहीं, बल्कि रंगों की संस्कृति का जीवंत प्रतीक है — जहाँ प्रकृति की धरोहरें मानवीय कला से मिलती हैं।
प्रियंका के लिए यह यात्रा सिर्फ एक ब्रांड सहयोग नहीं, बल्कि जड़ों से फिर से जुड़ने और भारत की रत्नकला की आत्मा को समझने की एक व्यक्तिगत यात्रा थी। यह परंपरा और नवाचार का संगम था — जहाँ भारत की कालातीत आत्मा, बुल्गारी के रचनात्मक साहस से मिलती है।
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बुल्गारी की रचनात्मक दुनिया में, रंग सिर्फ सजावट नहीं है — यह उनकी पहचान है। यह एक ऐसी भाषा है जो भावना, गति, आनंद और पहचान से बात करती है। हर रत्न, उसकी चमक, आकृति और ऊर्जा के अनुसार चुना जाता है, और यही से शुरू होती है रचनात्मक प्रक्रिया। लूसिया कहती हैं, “जिस पल मुझे सही रत्न दिखता है, मैं पहले ही सपना देखना शुरू कर देती हूँ। रंगों में कुछ ऐसा है — जो यादों को जगा देता है, विचारों को जन्म देता है और डिज़ाइन को ज़िंदा कर देता है।”
जयपुर के रत्न आपूर्तिकर्ताओं के साथ वर्षों के विश्वास और संबंधों के चलते लूसिया को उस दुनिया की झलक मिलती है, जो आम तौर पर लोगों की नजरों से दूर रहती है। उन्होंने प्रियंका को इस विशेष और गुप्त प्रक्रिया से परिचित कराया — वह संवाद जो शिल्पकार और रत्न के बीच होता है, खोज का रोमांच, और एक चमकदार रत्न से असीम संभावनाओं की शुरुआत।
एक बार जयपुर से रत्न चुन लिए जाते हैं, वे रोम के लिए रवाना होते हैं, जहाँ लूसिया सिलवेस्ट्रि के डेस्क पर असली जादू आकार लेता है। यहाँ लूसिया अनगिनत संयोजनों के साथ प्रयोग करती हैं, तब तक जब तक रत्नों की परफेक्ट सामंजस्य न मिल जाए। इसके बाद डिज़ाइन सेंटर के साथ मिलकर इन विचारों को स्केच में बदला जाता है, जो फिर बुल्गारी के मास्टर कारीगरों के हाथों में जाता है — जहाँ दो-आयामी डिज़ाइन तीन-आयामी कृति बनकर जीवन पाता है।
यह एक रचनात्मक और सांस्कृतिक संवाद है — जहाँ भारत की धरोहर, रंगों का जादू और बुल्गारी की रचनात्मकता मिलकर एक अद्वितीय कृति को जन्म देते हैं।