महामहिम उपराष्ट्रपति का धौलपुर दौरा, उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचन्द्र बैरवा ने की अगवानी
उपराष्ट्रपति ने दी स्वामी विवेकानन्द के ध्येय लक्ष्य प्राप्ति तक रुको मत की सीख महामहिम उपराष्ट्रपति का धौलपुर दौरा, उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचन्द्र बैरवा ने की अगवानी
महामहिम उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी का ध्येय वाक्य उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए। यह छात्रों का आदर्श वाक्य होना चाहिए। आपको लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सदैव प्रयासरत रहना होगा। महामहिम उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ धौलपुर दौरे के अवसर पर राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल के कार्यक्रम में कैडेट्स को संबोधित करते हुए बोल रहे थे।
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ श्रीमती डॉ. सुदेश धनखड़ के साथ एकदिवसीय दौरे पर धौलपुर पहुँचे। उपराष्ट्रपति का हेलीकॉप्टर हवाईपट्टी पर बनाये हैलीपेड पर उतारा गया। हैलीपैड पर उनका स्वागत उप मुख्यमंत्री डॉ प्रेमचंद बैरवा द्वारा किया गया। इस मौके पर जिला कलक्टर श्रीनिधि बी टी एवं पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार साथ मौजूद थे।
उपराष्ट्रपति का काफिला राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल परिसर में पहुंचा तो यहां के कैडेट्स ने उन्हंे गार्ड ऑफ ऑनर दिया। उपराष्ट्रपति ने विवेकानन्द ऑडिटोरियम में जाने से पूर्व श्रीमती धनखड़ के साथ पौधारोपण किया। राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल के प्रिन्सीपल लेफ्टिनेट कर्नल अमित शर्मा ने उपराष्ट्रपति की अगवानी में स्वागत उद्बोधन दिया। उपमुख्यमंत्राी डॉ. प्रेमचन्द बैरवा एवं मेजर जनरल आरएस गोदारा, चेयरमेन राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल ने उपराष्ट्रपति एवं श्रीमती धनखड के साथ मंच साझा किया।
उपराष्ट्रपति ने अपने सम्बोधन की शुरूआत में कहा कि हम एक ऐसे हॉल में बैठे हुए हैं जिसका नाम दुनिया के महानतम विभूतियों में से एक स्वामी विवेकानन्द जी के नाम पर रखा गया है। उन्होंने कहा कि जब स्वामी विवेकानन्द नें धार्मिक नेताओं की वैश्विक सभा को ‘भाइयों और बहनों’ के रूप में संबोधित किया तो हॉल में तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। उन्होंने कहा कि सभी छात्रों को स्वामी विवेकानन्द के ध्येय लक्ष्य प्राप्ति तक लगातार प्रयासरत रहने का अनुसरण करना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने छात्रों से कहा कि दोस्तों, मैं एक बड़ा बदलाव देख रहा हूं। जब मैं सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में था, तो यह केवल लड़कों के लिए था। अब हमारे देश में छात्राओं के लिए भी सैनिक स्कूल खोला गया है, जिसका उद्घाटन कुछ दिन पहले ही रक्षा मंत्री जी ने किया था। उपराष्ट्रपति ने छात्रों को स्कूल का महत्व बताते हुए जब मैं उपराष्ट्रपति के रूप में मेरा वास्तविक जन्म सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में हुआ था क्योंकि सैनिक स्कूल ने मेरे व्यक्तित्व को आकार दिया, सैनिक स्कूल ने मुझे वह बनाया जो मैं हूं। आप सभी छात्रा यहां बिताए हुए समय को अपनी स्मृतियों मंे संभाल कर रखें।
उन्होंने कहा कि जब मैं युवा था तब सोचता था कि क्या हमारे पास कभी पश्चिमी दुनिया के जैसी सड़कें, हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन, तकनीक होगी? लेकिन आज विश्व हैरान है, जो भारत के पास है वो कई देशों के पास नहीं! अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर जैसे देश हमारा अनुसरण कर रहे हैं। हमारे डिजिटल लेनदेन तंत्र यूपीआई को एक बहुत विकसित देश सिंगापुर ने अपनाया है। हमारा इसरो अमेरिका, ब्रिटेन और अन्य देशों के अंतरिक्ष उपग्रहों को अन्तरिक्ष में प्रस्थापित कर रहा है। एक देश के रूप मंे एक लंबा सफर तय किया है।
उन्होंने कहा कि छात्रों को अकादमिक जीवन के इतर भी बहुआयामी व्यक्तित्व निर्माण पर ध्यान देना चाहिए। शैक्षणिक प्रतिभा व्यक्तित्व का एक हिस्सा है, और खेल दूसरा तथा सांस्कृतिक गतिविधिया भी इसके कई पहलू हैं, क्योंकि सामान्य तौर पर, स्कूल आपको नैतिकता, उच्च स्तर की व्यावसायिकता, अनुशासन और शिष्टाचार सिखाएगा लेकिन ज्ञान, आपको स्वयं अर्जित करना होगा। टेक्नोलॉजी की वजह से अब बहुत फायदा हुआ है। आप जहां चाहें वहां ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। हम ऐसे समय में रह रहे हैं जब भारतीयों के लिए अन्तरिक्ष भी कोई सीमा नहीं रह गया है। चन्द्रयान 3 के जरिये भारत चांद के उस हिस्से पर पहुंचा है जहां पर अभी तक दुनिया का कोई भी देश नहीं पहुंचा है।
देश ने जनजातिय समुदाय से आने वाली महिला, श्रीमती. द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाया, किसान के बेटे को जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति बनाया जायेगा, किसी ने कल्पना नहीं की थी लेकिन ऐसा हो रहा है क्योंकि अब हमारे पास समान अवसर हैं, समय बदल गया है; सब कुछ पारदर्शी और जवाबदेह है। उन्होंने कहा कि अपनी मातृभूमि की सेवा करना नितांत आवश्यक है, लेकिन इच्छा ही पर्याप्त नहीं है। इच्छा के साथ सिद्धि की भी आवश्यकता होगी। आपको स्वयं को सिद्ध करना होगा।
छात्रों को दिया संसद आने का न्यौता
उपराष्ट्रपति ने राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल, धौलपुर के सभी छात्रों को संसद में अपने अतिथि बनने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि जब आप आएंगे तो संसद और भारत मंडपम की यात्रा आपको बताएगी कि भारत आज दुनिया में कहां है।
उपराष्ट्रपति को स्मृति चिन्ह एवं श्रीमती डॉ. सुदेश धनखड को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। उपराष्ट्रपति ने मिलिट्री स्कूल के कैडेट्स के साथ ग्रुप फोटो खिंचवा कर बिदा ली।