केरल में ईसाइयों के प्रार्थना स्थल पर विस्फोट, तीन मरे, पचास जख्मी

केरल में ईसाइयों के प्रार्थना स्थल पर विस्फोट, तीन मरे, पचास जख्मी।

तो क्या इजरायल हमास युद्ध की चिंगारियां भारत में भी देखने को मिल रही हैं?

युद्ध पर रोक लगाना भारत ही नहीं दुनिया के हित में है

7 अक्टूबर को कट्टरपंथी संगठन हमास ने इजरायल पर हमले की शुरुआत यहूदियों के एक प्रार्थना स्थल से की थी। इस स्थल पर हजारों इजरायली एकत्रित हुए थे। इस हमले में सैकड़ों इजरायली मारे गए। 7 अक्टूबर को इजरायली नागरिकों पर जो हमला हुआ उसी तर्ज पर 29 अक्टूबर को भारत के केरल राज्य के कलाम सेरी में भी ईसाइयों के प्रार्थना स्थल पर एक साथ तीन विस्फोट किए गए। जिसमें अब तक तीन लोगों की मौत हो चुकी है तथा पचास से अधिक लोग जख्मी है। मौत का यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। 7 अक्टूबर को इजरायल में और 29 अक्टूबर को केरल में विस्फोट के बाद यह सवाल उठा है कि क्या इजरायल हमास के युद्ध की चिंगारियां भारत में देखने को मिल रही है? कलाम सेरी में जो विस्फोट हुआ तब प्रार्थना स्थल पर दो हजार से ज्यादा ईसाई मौजूद थे। इससे एक दिन पहले 28 अक्टूबर को केरल के मल्लापुरम में हमास के समर्थन में एक रैली हुई। इस रैली को हमास के नेता खालिद मशाल ने वर्चुअली संबोधित किया। इस रैली में बुलडोजर, हिंदुत्व और यहूदीवाद को उखाड़ फेंकने के नारे लगे। रैली के एक दिन बाद ही ईसाइयों के प्रार्थना स्थल पर विस्फोट होना, अपने आप में बहुत बड़ी घटना है। भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र कहा जाता है। ऐसे में केरल में हो रही घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण है। भारत के सभी राजनीतिक दलों को केरल की घटनाओं को गंभीरता के साथ लेना चाहिए। यदि राजनीतिक दलों ने इन घटनाओं को गंभीरता से नहीं लिया तो देश के आम नागरिक को सजा भुगतनी पड़ेगी। इजरायल और हमास के बीच विवाद के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन भारत में ऐसा कोई कारण नहीं है कि किसी राज्य में इजरायल और हमास के युद्ध को लेकर घटनाएं हो। जाहिर है कि भारत में कुछ तत्व ऐसे सक्रिय हैं जो मध्य पूर्व के युद्ध की आड़ में अपने स्वार्थ पूरे करना चाहते हैं। यह सही है कि दुनिया के किसी भी हिस्से में जब मुसलमानों को लेकर कोई घटना होती है तो इसका सीधा असर भारत पर पड़ता है। भारत में करीब 25 करोड़ मुसलमान है जिनमें विभिन्न विचारधाराएं हैं। ऐसी विचार धाराएं हमास, तालिबान, हिजबुल जैसे संगठनों से भी जुड़ी हुई है। भारत में जहां हमास और तालिबान जैसी विचारधाराओं के समर्थक हैं, वही सूफीवाद के समर्थक भी है। यही वजह है कि सूफी संतों की दरगाहों पर हिंदू भी बड़ी संख्या में जियारत करने जाता है। 29 अक्टूबर को केरल में भले ही ईसाइयों के प्रार्थना स्थल पर हमला हुआ हो, लेकिन निशाने पर कौन है, यह सब जानते हैं। इजरायल और हमास के बीच युद्ध रुकना भारत ही नहीं दुनिया के हित में है। युद्ध को रोकने के लिए अब तक जो प्रयास हुए है, वे नाकाफी है। मौजूदा हालातों में युद्ध का मुख्य कारण दो सौ ज्यादा इजरायली बंधकों का है। बंधक हमास के कब्जे में है। इजरायल का स्पष्ट कहना है कि जब तक बंधक नहीं छोड़ जाते हैं, तब तक गाजा पट्टी पर हमले जारी रहेंगे। जो लोग दुनिया में शांति चाहते हैं उन सबकी जिम्मेदारी है कि इजरायल और हमास के युद्ध को समाप्त करवाए।